Why You Should Volunter

भारतीय प्रवासी परिषद का सदस्य / पदाधिकारी क्यों बनना चाहिए, इस पर नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

बिहार के छपरा जिले में एक संभ्रांत परिवार में 15 नवम्बर 1970 को जन्मे अजय तिवारी बचपन से ही सृजनशील प्रतिभा के धनी रहे है l प्राथमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा कानपूर विश्वविद्यालय से प्राप्त करने के दौरान डॉ अजय तिवारी ने एक छात्र के रूप में अपनी रचनात्मकता और वैधिकता से परिचित कराया l कानपुर विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा के बाद पारम्परिक इलेक्ट्रो होम्योपैथी में डिग्री की उपाधि प्राप्त किया एवं बॉलब्रिज विश्वविद्यालय कैलिफ़ोर्निया,अमेरिका द्वारा बिज़नेस मैनेजमेंट मैं पी.एचडी की मानक उपाधि रेवाड़ा के हाई कॉमिशनर एवं साउथ कोरिया के अम्बेसडर द्वारा प्राप्त किया। और जीवन समर में उतर गये और प्रारम्भ में एक छात्र नेता के रूप में राजनीती में अपना कार्य प्रारम्भ किया l उनकी रचना एवं धार्मिकता ने राजनीती के साथ-साथ लेखन और समाज सेवा से जोड़ दिया l डॉ अजय तिवारी ने कई काव्य एवम ग‌‌द्य पुस्तकों की रचना की है वे स्वमं मधुर स्वर के गायक भी है और अनेक राष्ट्रीय चेनलो पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी कर चुके है l समाज और संस्कृति की सेवा करना डॉ.अजय तिवारी का शगल है l वह प्रत्येक वर्ष निर्धन कन्याओ के विवाह के लिए देश भर में आयोजन करते है और प्रति वर्ष कन्यादान भी करते है l इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और बिहार में अनेक साहित्य सांस्कृतिक और समाजिक संस्थाओ का संचालन एवं समन्वय कर रहे है I मूलतः दिल्ली NCR में अपना बड़ा व्यवसाय खड़ा करने वाले डॉ अजय तिवारी ने भारतीय संस्कृति न्यास की स्थापना व भारतीय प्रवासी परिषद के स्थापना में बड़ी भूमिका का निर्वाहन किया l इनकी कार्यशैली को देखकर भारत सरकार के सांस्कृतिक व पर्यटन मंत्री माननीय श्री पद नायक जी व एम.डी.एच. मसाले के चेयरमैन श्री धर्मपाल गुलाटी जी ने इस्लामिक कलचरल सेन्टर न्यू दिल्ली में डॉ अजय तिवारी को भारत गौरव पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया I और ए.वी.पी. मिडिया द्वारा सोशल वर्क फार बेस्ट यूनिटी ऑफ़ इंडिया एस.सी.एस एक्सीलेंस अवार्ड 2017 दिया I डॉ अजय तिवारी स्वयं अच्छे रचनाकार व गीतकार है लेकिन यह उनकी प्रतिभा का एक पक्ष है वे उतने ही सफल उधमी भी है l डॉ अजय तिवारी की राजनितिक और समाजिक दृष्टि स्पष्ट है, और नये भारत के निर्माण व देश की अखंडता के लिए उनकी उत्सुकता उन्हें सदा सक्रिय बनाये रखती है l उनका मानना है की भाषा, जाति, धर्म अलग-अलग होना ठीक है पर भेदभाव होना ठीक नही है I क्योकि भारत एक़ विशाल देश है, जिसके हृदय में धर्म-निरपेक्षता की भावना आज भी जीवित है और आज भी इस देश में अपनत्व की भावना, परम्परा, संस्कृति, सदभावना एंव रिश्तो तथा अतिथियों का सम्मान किया जाता है, तथा अतिथियों को भगवान का रूप माना जाता है और यह बिल्कुल सही है, क्योंकि अतिथि कई किलोमीटर की दूरी तय कर हम से मिलने या अपनी शिक्षा, रोजगार, व्यापार की तलाश में एक़ देश से दूसरे देश या एक़ राज्य से दूसरे राज्य में आता जाता रहता है I तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम हर आने-जाने वाले अतिथि का सम्मान करें और उन्हे उचित सुविधा मुहैया कराए I जिससे अतिथि हमारा स्नेह , भाई चारा एंव परम्परा, संस्कृति को देख हमारे देश और प्रदेश के विकास में हमारी मदद करें I हमारा देश तो दुश्मनो को भी गले लगा लेता है, फिर अतिथि तो हमारे अपने होते हैं जो पंछी की तरह आते जाते रहते है I चाहे वो देश के बाहर के अप्रवासी अतिथि हो या भारतीय प्रवासी अतिथि हो अतिथियों के सम्मान में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, इस परंपरा, संस्कृति को हमे या अन्य देश और प्रदेश वासियों को भी याद रखना चाहिए, क्योंकि अतिथि देश / प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ! इसलिए आज भारतीय प्रवासी परिषद का निर्माण कर देश की इस परम्परा ” अतिथि देवो भवः ” और वासी + प्रवासी+ अप्रवासी एकता और भाईचारा को मजबूत करने का प्रयास प्रत्येक देश-प्रदेश में किया जा रहा है, ताकि युवा वर्ग या वरिस्ठ नागरिक जो एक़ देश से दूसरे देश और एक़ प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाकर अपनी शिक्षा, रोजगार प्राप्त करने और व्यापार करने का प्रयास करते है या पहले से रह रहे हैं , उनके साथ कोई अन्याय ना हो और उनका सम्मान अतिथियों की तरह हो तथा आपस में भाईचारा व् प्रेमभाव बढ़ सके , और उन्हे उचित अधिकार मिल सके I क्योकि भारतीय नागरिक तीन रूप में रहता है भारतीय वासी,प्रवासी या अप्रवासी भारतीय संविधान के राज्यों के अनुसार वासी वो होता है जो वहीं का वासिन्दा हो और प्रवासी वो होता है जो भारतीय नागरिक हो और एक राज्य से दूसरे राज्य में रह रहा हो तथा अप्रवासी वो होता है जो एक देश से दूसरे देश में रह रहा हो तथा नागरिकता प्राप्त कर लिया हो I इसके साथ ही हमें प्रत्येक भाषा का सम्मान करते हुए हिंदी भाषा का भी ज्ञान होना चाहिए क्योकि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा(मातृभाषा) है I आज भी कई राज्यों में हिंदी न जानने की वजह से हिंदी भाषियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पडता है! इस विषय में आप की राय और सहयोग दोनों की आकांक्षा है कृपया अपने विचार हमे जरूर लिखे|

Why should I become a member / officer of the Indian Pravasi Parishad, here are some important points given below :

1. By registering yourself as a council member / officer, you can unite the nation and eliminate discrimination on the basis of racism, provincial / regionalism or religion and make a significant contribution to the integrity of the country. 2. As soon as you register as a member / officer of the Council, you can connect with all the current members of the country and abroad and the high officials of the Council. 3. As a council member / officer, you are staying anywhere in your area. Are connected to a group of expatriates / immigrants, and you feel a part of the community even when you are away from your hometown. Apart from this, many political leaders and social workers can try to connect with you because you become a majority. 4. In any state, more members of the workers and supporters can apply for the post of the Indian Pravasi Parishad. The election of the State President will be done in collaboration with the internal election. 5. The Central Dept. of the Indian Overseas Council provides you with other basic facilities for regional office, pay and day-to-day activities, if about two lakh members are prepared in the state by the state president. So that you can fulfill your common needs and meet the day-to-day activities of the Council without any hassle in your area. 6. By joining the council, you will feel organized / secure at any place in the country abroad and will cooperate with each other in any disaster or program. 7. The members of the council / office bearers may also get the schemes given by the Central Office to the Employment, Trade and Government of India. 8. Every worker of the Indian Overseas Council can lead the security of the immigrants living in every state of the country and the immigrants living abroad living in the same respect and equal rights. 9. Under the leadership of overseas resident / immigrant Indian citizen, the solution of the problems can be solved by joining the Indian Overseas Council or the Ministry of Overseas of the Government of India. 10. Organizing poor and needy women from your membership fee, providing self employment (cutting, tailoring, punting, beautician, computer etc.) and providing blood donation camps, road safety programs, ophthalmic program and cleanliness drive and women The main objective of the Council is to make self-reliant. And in that state, about 200 poor (handicapped / face-to-face and other) students will be given school fees, dress and other facilities by the council from class I to class eight. 11. If there is a 6 month old member of the Council in India, in any state of the country, if you need blood for some reason then your ID number A unit of blood will be provided for free. Validity of this facility will be valid for 18 months from the date of registration. 12. In order to increase the membership of migrants in the Council, if any member / worker / officer performs the task of adding nearly 1000 members. Then he will be given incentive / gifts / 10000 rupees by the Council. 13. To become a member of the council, it is necessary to fill the online form of the council. Online Registration Form 14. Note: Please go to Downloads to get your BPP ID CARD. If the fee is not deposited, the convenience / post will not be valid. 15. Indian Overseas Council is a recognized institution of U / S 80G (5) and Income Tax Act, 1961, by the Government of India. You can donate for social assistance as you wish. And you can get Income Tax exemption of the donated amount.